भाषा एवं साहित्य >> हिंदी भाषा का उद्गम और विकास हिंदी भाषा का उद्गम और विकासउदय नारायण तिवारी
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प्रस्तुत पुस्तक 'हिंदी भाषा का उद्गम और विकास' में हिंदी का ऐतिहासिक तथा तुलनात्मक व्याकरण उपस्थित किया गया है
प्रस्तुत पुस्तक 'हिंदी भाषा का उद्गम और विकास' में हिंदी का ऐतिहासिक तथा तुलनात्मक व्याकरण उपस्थित किया गया है। विवेचन के लिए परिनिष्ठित हिंदी के रूप को लिया गया है। हिंदी की विभिन्न बोलियों के सम्बन्ध में अब तक अल्प सामग्री ही प्रकाश में आई है। पुस्तक को दो भागों में विभक्त किया गया है। पूर्व पीठिका में भारोपीय से लेकर अपभ्रंश तथा संक्रतिकालीन भाषा की समग्री दी गयी है और उत्तरपीठिका में केवल हिंदी भाषा का ऐतिहासिक तथा तुलनात्मक व्याकरण दिया गया है। पुस्तक की पूर्व पीठिका में भारोपीय वादिक संस्कृति, पालि-प्रकृत आदि के सम्बन्ध में जो समग्री दी गयी है उसे जाने बिना भाषा-विज्ञानं का अध्ययन करना व्यर्थ का परिश्रम करना है। यह समग्री केवल हिंदी के भाषा विज्ञानं के अध्ययन करने वालों के लिए ही आवश्यक नहीं है अपितु पालि, प्राकृत तथा अपभ्रंश के भी प्रारंभिक अध्ययन के लिए आवश्यक है। आशा है हिंदी के अतिरिक्त संस्कृत एवं पालि-प्रकृत के विद्यार्थी भी इससे लाभ उठायेंगे।
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